ईद का ये चाँद ऐसी चांदनी
बिखेर लाये सब के लिए
कि ये ईद का पर्व खूब निखर
के आये सब के लिए
जो भी थी रंजिशें, गमे
दिलों में खत्म हो जाएँ आज
बस केवल इक इबादत उस खुदा
की रहे यहाँ आबाद
कितने इंतज़ार के बाद ये
सुंदर सा चाँद आता है नजर
तभी तो ईद कर देती है सब को
खुद से ही बेखबर
न हो मजहब का सवाल न किसी
उम्र का हो ख्याल
बस ईद ही ईद नाम कर दे सब
के दिल को निहाल
आओ मिल जुल कर बाँट लें ये
खुशियों का अवसर
फिर पता नहीं कब आएगा
दुबारा ये प्यारा सा पर्व
***********ईद मुबारिक सभी
को ***********
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