Friday 17 July 2015

ईद का ये चाँद ऐसी चांदनी बिखेर लाये सब के लिए
कि ये ईद का पर्व खूब निखर के आये सब के लिए
जो भी थी रंजिशें, गमे दिलों में खत्म हो जाएँ आज
बस केवल इक इबादत उस खुदा की रहे यहाँ आबाद
कितने इंतज़ार के बाद ये सुंदर सा चाँद आता है नजर
तभी तो ईद कर देती है सब को खुद से ही बेखबर
न हो मजहब का सवाल न किसी उम्र का हो ख्याल
बस ईद ही ईद नाम कर दे सब के दिल को निहाल
आओ मिल जुल कर बाँट लें ये खुशियों का अवसर
फिर पता नहीं कब आएगा दुबारा ये प्यारा सा पर्व

***********ईद मुबारिक सभी को ***********

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