Myself DR SONIA (BDS, MDS). I am from DERA BASSI, near CHANDIGARH. The best way to express one's feelings is the use of silent WORDS on a PAPER with your KALAM. This is not only a page but a "Mirror of Feelings and Expressions" I hope everyone who reads this page will appreciate and enjoy. " IF DEDICATION IS THERE, DREAMS ALWAYS COME TRUE" "BAD TIME ALWAYS CREATES A MIRACLE FOR YOU IN LIFE"
Monday 21 December 2015
Sunday 13 December 2015
प्रिय मित्रों, पाठकों
मेरे काव्य संग्रह "उम्मीद का दीया " की एक और समीक्षा
आदरणीय श्री राजेश कुमारसिन्हा जी की कलम से ; जो कि स्वयम एक लेखक और कवि हैं!
धन्यवाद सर अपना कीमती समय देने हेतु!
और आशा करती हूँ आपके द्वारा बताई कमियों को भविष्य में अवश्य सुधारेगी मेरी कलम!
यह पहला प्रयास था मेरा काव्य कला के क्षेत्र में, पर गलतियाँ करके ही हम आगे की ओर बढ़ते हैं! यह मेरी सोच है और ईश्वर की कृपा और आप सभी के आशीर्वाद से यह मंजिल भी अवश्य कामयाबी के शिखर को छुएगी !
आदरणीय श्री राजेश कुमारसिन्हा जी की कलम से ; जो कि स्वयम एक लेखक और कवि हैं!
धन्यवाद सर अपना कीमती समय देने हेतु!
और आशा करती हूँ आपके द्वारा बताई कमियों को भविष्य में अवश्य सुधारेगी मेरी कलम!
यह पहला प्रयास था मेरा काव्य कला के क्षेत्र में, पर गलतियाँ करके ही हम आगे की ओर बढ़ते हैं! यह मेरी सोच है और ईश्वर की कृपा और आप सभी के आशीर्वाद से यह मंजिल भी अवश्य कामयाबी के शिखर को छुएगी !
आभार
डॉसोनिया!!!
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डॉसोनिया!!!
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युवा कवयित्री डॉ सोनिया गुप्ता का नवीनतम काव्य संग्रह “उम्मीद का दीया” मेरे सामने है,और कुछ ही देर पहले मैंने इस संग्रह को पढना खत्म किया है.सबसे पहले तो बड़ी ही इमानदारी से यह स्वीकार करता हूँ की उनकी कविताओं ने वाकई मुझे प्रभावित किया है और शायद यही वज़ह भी रही है एक ही बैठक में संग्रह को पूरा कर पाया हूँ. डॉ सोनिया की कविताएँ समय की आहट को भांपती हुई लगीं साथ ही सहज भी जो शायद पठनीयता का पहला मापदंड होती है.बेशक एक उभरते हुए हस्ताक्षर से काव्य कला की तकनीक पर पूरी तरह खरा उतरने की अपेक्षा की भी नहीं जानी चाहिए(यह मेरी सोच है) और मैंने उस पर उतना तवक्को भी नहीं दिया है. हाँ पर इसमें कोई दो राय नहीं की विषयों के चयन और उनकी प्रस्तुति में जितनी संजीदगी नज़र आती है उसे बिलकुल एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए.
समसामयिक स्थितियों और मुद्दों को देखने का उनका अपना नजरिया है और उन स्थितियों की उन्हें बखूबी समझ भी है. यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी की कई रचनाओं में विषयों की विविधता है. कहीं वो दार्शनिक की तरह नज़र आती हैं तो कहीं उनकी चिंता को देखा और समझा जा सकता है साथ ही उनके अंतस की वेदना को महसूस भी किया जा सकता है.
कुछ पंक्तियाँ ,,,,इसका प्रमाण देती हैं ,,,,,,,,,,,,
समसामयिक स्थितियों और मुद्दों को देखने का उनका अपना नजरिया है और उन स्थितियों की उन्हें बखूबी समझ भी है. यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी की कई रचनाओं में विषयों की विविधता है. कहीं वो दार्शनिक की तरह नज़र आती हैं तो कहीं उनकी चिंता को देखा और समझा जा सकता है साथ ही उनके अंतस की वेदना को महसूस भी किया जा सकता है.
कुछ पंक्तियाँ ,,,,इसका प्रमाण देती हैं ,,,,,,,,,,,,
बुझ कर भी जलते रहें जो दीप, रौशनी उनका अभिनन्दन करती है
बिन गरजे भी बरसें जो मेघ, वर्षा उनका अभिनन्दन करती है !!!
बिन गरजे भी बरसें जो मेघ, वर्षा उनका अभिनन्दन करती है !!!
क्या है आखिर ये डर,
किस बात का डर,
किससे डरता है इंसान,
मुश्किलों से या खुद से ? "
किस बात का डर,
किससे डरता है इंसान,
मुश्किलों से या खुद से ? "
कारण बन जाऊँ
किसी की मुस्कराहट का,
चाहे दो पल की ही
दे पाऊँ उसको खुशी | "
किसी की मुस्कराहट का,
चाहे दो पल की ही
दे पाऊँ उसको खुशी | "
जब सुख का सागर छलकेगा,
और गम का बादल सरकेगा,
हर महफिल भी सज जायेगी,
वह सुबह कभी तो आयेगी !
और गम का बादल सरकेगा,
हर महफिल भी सज जायेगी,
वह सुबह कभी तो आयेगी !
हारने से क्यों डरते हो तुम ,
हार से हार मत मानो तुम
यदि जीवन में कुछ करना है हासिल ,
तो हार को गले लगाओ तुम !
असफलता , सफलता की सीढ़ी है
गिरकर संभलना ही तो जिंदगी है ,
आंसू तो केवल मज़बूरी हैं
आंसू कभी न बहाओ तुम !
हार से हार मत मानो तुम
यदि जीवन में कुछ करना है हासिल ,
तो हार को गले लगाओ तुम !
असफलता , सफलता की सीढ़ी है
गिरकर संभलना ही तो जिंदगी है ,
आंसू तो केवल मज़बूरी हैं
आंसू कभी न बहाओ तुम !
इसके अलावा “भूर्ण पुकार,परिवर्तन,भ्रष्टाचार ,शिक्षक ,सोच,सुकों के पल ,ख्वाब और अभिमान जैसी कविताएँ भी हैं जो पाठकों का ध्यान खींचती हैं,,,,,,,,,,,
कुल मिला कर कहा जा सकता की डॉ सोनिया गुप्ता का यह संग्रह पठनीय है और उनके इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए. पर डॉ सोनिया गुप्ता जी को यह भी स्वीकार करना होगा की अभी काव्य कला की दृष्टि से उनकी रचनाओं में और परिपक्वता की ज़रूरत है!
शुभकामना के साथ
राजेश कुमार सिन्हा
राजेश कुमार सिन्हा
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